महीने के वो चार दिन😑

आप सभी ने मेरे पिछले 3 "BLOGS" तो पढ़े ही होंगे, हो सकता हैं किसी को पसन्द भी आयें हो और किसी को ना भी। लेकिन अब जो मैं लिखने जा रहा हूँ वो एक लड़की की जिंदगी का सबसे भारी वक्त होता हैं, जब उस समय उसको कोई समझ नहीं पाता तो चलिए Start करते हैं.....

कुछ लोग इसे पढ़कर यह जरूर कहेंगे कि एक लड़का होकर मैं यह सब लिख रहा हूँ मुझे लिखते हुए शर्म नहीं आयी वगैरह बहुत कुछ। लेकिन जो सच हैं वहीं लिख रहा हूँ।। एक लड़की की जिंदगी कितनी कठिनाईयों से भरी होती हैं ये सिर्फ कुछ ही लोग समझ पाते हैं। 

पीरियड्स
खूब मस्ती करने वाली लड़की भी महीने के कुछ दिनों के लिए मुरझा जाती हैं, आहें भर तड़प तड़प कर भी अपना दर्द छुपाती हैं, पेट में दर्द हैं, कमर में दर्द हैं, मामूली सा सबको यहीं बतलाती हैं, हमसे तो ना कह पाती हैं लेकिन झूठी हॅंसी हॅंस जाती हैं, चार पाॅंच दिन के लिए एक प्यारी सी हॅंसी खो जाती थी, मस्ती मजाक करने वाली डरी सहमी सी हो जाती हैं, बार बार खुद को देख औरों की नजरों से बचाती हैं, कोई पूछ लें तो कहने में शर्माती हैं।।

"पीरियड्स हैं इतना भी ना बोल पाती हैं ।।"
क्यों भेदभाव होता हैं जब लड़की पीरियड्स से हो जाती हैं, पता नहीं क्यों कुछ लोग उसको वायरस समझ लेते हैं।। कभी मंदिर कभी रसोई से दूर बैठाई जाती हैं, छूआछूत की दीवारें भी ऊँची ऊठ जाती हैं, औरत ही औरत का सम्मान घटाती हैं, भेदभाव का एक नया नजरिया सबको बतलाती हैं। कुछ छू भी लें तो उसे गंगाजल से पवित्र किया जाता हैं, अरे बेशर्मो कुछ पवित्र करना ही हैं तो अपनी सोच को पवित्र करों जंग लग गया हैं उसको। मानता हूँ समाज की मानसिकता थोड़ी ओछी हैं, पर स्त्री को पीरियड्स आते हैं तभी घर के चिराग जलते हैंपीरियड्स प्राकृतिक हैं, शरीर की संरचना का एक हिस्सा हैं, पीरियड्स होना अच्छा हैं। 

औरत ही जगत जननी हैं, औरत ही पूरा संसार हैं, न समझ सकूँ दर्द तुम्हारा तो मुझ पर धिक्कार हैं, पीरियड्स का दर्द शायद मैं ना लिख पाऊँगा पर इतना लिखना चाहता हूँ, तेरे दर्द से मुझे तकलीफ होती हैं, तू चुपचाप तो तड़पती मचलती हैं, ये दर्द मैं महसूस ना कर पाऊँ पर मैं एक बेटा हूँ, भाई हूँ, दोस्त हूँ, अपना हर फर्ज निभाऊंगा, बेशक तकलीफ तुम्हारी हो, मैं हरदम साथ निभाऊंगा, मत छुपा दर्द को अपने शर्म से तू नाता तोड़, नेचुरल हैं पीरियड्स हॅंस के अब सब से बोल।

जरा सोचिए जब लड़की के पीरियड्स आते हैं तब महीने के 4 दिन उसको अपवित्र माना जाता हैं, इससे ज्यादा अपमान की बात ओर कुछ नहीं हैं हमारे लिए, ऐसा क्यों किया जाता हैं अरे वो देवी हैं मेरे भाई क्योंकि उसकी इसी चार दिन की तकलीफ की वजह से आज तुम्हें ये जीवन मिला हैं।

आखिर में, मैं यह कहना चाहूंगा कि जो आप चांद तारे तोड़ कर लाने के वादे करते हो वो मत करना, हो सके तो उसके मुश्किल दिनों के लिए गर्म पानी वाली थैली व पीरियड्स में काम आने वाले सामान खरीद कर ले आना।
मासिक धर्म को पाप ना समझो, घर की लक्ष्मी को श्राप न समझो, माहवारी जीवन का आधार हैं, कुदरत का यह अनुपम उपहार हैं।।

और अब अपनी बात को यहीं खत्म करते हुए यह कहना चाहूंगा कि औरतों का कठिन से कठिन समय में हमें साथ देना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए ना कि उनके साथ दुर्व्यवहार करना चाहिए। यह लेख किसी की भावना दुखाने के लिए नहीं लिखा गया हैं यदि फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मुझे माफ करना 🙏🙏 और जिसको अच्छा लगा हो वो इसे शेयर करना।

धन्यवाद

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