एक लड़की की शादी और उसके बाद का सफर Part - 3

आप सभी का एकबार फिर से स्वागत हैं, मैं आशा करता हूँ कि आप सभी ने मेरे पिछले दो "BLOGS"  तो पढ़ ही लिए होंगे, नहीं पढ़े हो तो पहले उनको पढ़ लें उसके बाद इसे पढ़ेंगे तो ज्यादा अच्छे से समझ आयेगा। 🙏😊

तो चलिए अब मैं लिखने वाला हूँ लड़की की शादी और उसके बाद का उनका सफर कैसा बीतता हैं.....

जैसा कि आप सभी को पता ही होगा कि शादी से पहले महत्वपूर्ण होता हैं सगाई.....


रिश्ता तय होने के बाद से शादी होने तक कई सारी रस्में होती हैं। उसमें सबसे पहली रस्म, जिसमें लड़का और लड़की एक साथ पहली बार साथ आते हैं, वह होती हैं सगाई। कहते हैं सगाई से लेकर शादी तक का सफर बहुत ही प्यारा, यादगार और सुनहरा होता हैं, इस समय बहुत सारी यादों का खजाना बनता हैं इसलिए सगाई से शादी के बीच के दौर को गोल्डन टाइम माना जाता हैं।

यह वही समय होता हैं जब लड़का और लड़की को एक दूसरे को समझने का मौका मिलता हैं। यह समय दोनों के लिए रोमांच भरा होता हैं, लड़का-लड़की एक दूसरे के करीब आते हैं, एक दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं और इस दौरान हर बात वो एक दूसरे से साझा करते हैं, चाहें वो कोई छोटी बात ही क्यों न हो पर ये समय सम्भलकर रहने का भी होता हैं, यह बहुत नाजुक से रिश्ते होते हैं जो इस नाजुक समय पर बड़ी समझदारी से निभाने पड़ते हैं नहीं तो खामियाजा भुगतान पड़ सकता हैं।

दोनों शादी से पहले अपने रिश्ते में कंफर्टेबल होने की कोशिश करते हैं। लेकिन अक्सर कंफर्टेबल होने के चक्कर में लड़के ऐसी लापरवाही या अंजाने में गलती कर बैठते हैं कि शादी टूटने तक की नौबत आ जाती हैं। जैसे कि :- लड़की पर हुकुम चलाना, ज्यादा मिलना जुलना, फ्लर्ट करना इन सब को करने की जगह आप अपनी मंगेतर को सम्मान दें वहीं काफी हैं।

तो यह हुई सगाई की बात अब आते हैं शादी की बात पर.....


शादी को लेकर अक्सर ये बात कही जाती हैं कि ये एक ऐसा लड्डू हैं जिसे खाने वाला भी पछताता हैं और नहीं खाने वाला भी पछताता ही हैं, जब तक शादी नहीं हुई होती हैं हम दूसरों को देखकर इस रिश्ते के बारे में कयास लगाते रहते हैं।। लेकिन शादी दो अलग-अलग विचारों एवं स्वभावों के लोगों के बीच का एक ऐसा रिश्ता हैं, जो जुड़ने के बाद उन्हें दो अलग व्यक्तित्व होने के बावजूद एक बना देता हैं। शादी जीवन का बहुत बड़ा फैसला होता हैं, इसमें एक व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ अपनी पूरी जिंदगी को शेयर करता हैं। वैसे तो शादी के बाद एक लड़के और लड़की दोनों के जीवन में काफी बदलाव आते हैं। लेकिन एक लड़की के जीवन पर एक लड़के की तुलना में कहीं ज्यादा फर्क पड़ता हैं, शादी के बाद एक लड़की सिर्फ बेटी या बहन नहीं होती, बल्कि एक पत्नी, बहू, मां और एक गृहणी भी होती हैं। एक लड़की बड़ी किसी और घर में होती हैं और शादी के बाद वो सब कुछ जिसे वो अपना मानती थी, उसे छोड़ना पड़ता हैं। भारतीय परिवारों में शादी होते ही लड़कियों को अपने परिवार, माता पिता का घर छोड़कर पति और सास-ससुर के साथ रहना होता हैं। उसके बाद कई तरह के बदलाव, चुनौतियों का सामना हर नवविवाहिता को करना पड़ता हैं। अगर वह इन बदलावों को अपने जीवन में ढाल लेती है या शादी के बाद आने वाली चुनौतियों का सामना कर लेती है तो उनका वैवाहिक जीवन सुखी और मंगलमय हो सकता हैं। हालांकि इसके लिए लड़कियों को पहले से ही मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार रहना चाहिए। जैसे कि :- 

१. अक्सर देखा जाता हैं कि शादी के दिन दूल्हा और दुल्हन दोनों के ही चेहरे पर एक अलग नूर होता हैं। शादी के कुछ समय बाद चीजें पहले की तरह नहीं रह जाती हैं और लड़का-लड़की खुद पर ध्यान देना थोड़ा कम कर देते हैं पर इसका ये मतलब तो बिल्कुल नहीं अब वो आकर्षक नहीं रह गया हैं या रह गई हैं। दूसरी जिम्मेदारियों के साथ आए इस परिवर्तन को स्वीकार करने में ही भलाई रहती हैं।

२. शादी के दौरान तमाम तरह की कसमें खाई जाती हैं कि हमारे बीच का प्यार हमेशा बना रहेगा लेकिन सच्चाई यह हैं कि कुछ पति पत्नी में समय के साथ प्यार का रूप बदलने लगता हैं। ऐसे में इस बात के लिए ही तैयार रहना बेहतर होगा।

३. शादी के दिन शायद ही कोई ऐसा होता होगा जो ये सोचता होगा कि उसे कभी अपने पार्टनर से नफरत हो जाएगी. पर शादी के कुछ सालों बाद कभी-कभी किसी बात को लेकर कलह इस कदर बढ़ जाती है कि मन में एक ही ख्याल आता हैं, काश शादी ही नहीं की होती तो अच्छा रहता। लेकिन यह गलत हैं। शादी के बाद किस कपल में नोकझोक नहीं होती, सभी में होती हैं किन्तु इस इस नोकझोक कओ प्यार से सुलझाया भी जा सकता हैं जरुरी नहीं कि तलाक ही इसका हल हैं तो इसके लिए भी आपको पहले से तैयार रहना होगा।

शादी के बाद अनजान घर में लड़की का सफर..... 

शादी को हमेशा से ही न्यू चैप्टर ऑफ लाइफ कहा जाता हैं। ऐसा इसलिए कहा जाता हैं क्योंकि शादी के बाद हर एक लड़की और लड़के के जीवन में कई सारे बदलाव होते हैं, जिनके जरिये हमारे जीवन में कई नयी चीजें भी शामिल होती हैं। उन सभी नयी चीजों में सबसे पहले उनके ऊपर उनके जीवनसाथी का भार आ जाता हैं और उन्हें हर एक कठिन और सही समय में उनके जीवनसाथी के साथ खडा़ होना होता हैं। शादी के पहले लड़की जैसे चाहे अपने जीवन को जी सकती हैं परंतु शादी के बाद उन्हें कई सारी जिम्मेदारियों के साथ अपने जीवन को जीना होता हैं। 

चाहे लव मैरिज हो या फिर अरेंज मैरिज बहू बनने के बाद ससुराल में पहला कदम रखते ही लड़कियों के लिए जैसे चुनौतियां शुरू हो जाती हैं। उन्हें सबसे बड़ा टेंशन तो ये रहता हैं कि उनकी ससुराल में उनकी जिंदगी कैसी होगी? इसी के साथ जुड़ा होता हैं ये डर कि क्या वह ससुराल व अपने नए घरवालों के साथ सहज भी हो पाएंगी या नहीं? वो अपने नए घर में सबसे घुल मिल पाएगी या नहीं ऐसा इसलिए होता हैं.....


1. अनजान लोग अनजान जगह.....
आप किसी नई जगह जाएं या फिर शहर बदलकर नौकरी करने, वहां पर सहज होने में आपको समय लगता ही हैं। बस इसी तरह का अनुभव लड़कियों का भी होता हैं। वह अपने मायके में सालों से रह रही होती हैं। अगर वह इंडिपेंडेंट भी रह रही हों, तो भी वह अपनी जगह और आसपास को लोगों के साथ कम्फर्टेबल हो चुकी होती हैं।

शादी के बाद ससुराल में जाना, उनके लिए घर से लेकर सारी चीजें नई बना देता हैं। वह भले ही शादी से पहले अपने सास-ससुर से कई बार मिली हों, लेकिन उनके साथ रहने का अनुभव बिल्कुल अलग होता हैं। उनके लिए वे अनजान की तरह ही होते हैं, जिन्हें समझने व उनके साथ ट्यूनिंग बैठाने में उन्हें समय लगता हैं।

2. कहीं बुरा न मान जाएं.....

ये डर तो लड़की को तब से लगना शुरू हो जाता हैं, जब उसकी शादी तय होती हैं। कुछ ऐसा न कह दूं या कर दूं कि उन्हें बुरा लग जाएं। ये उन्हें पसंद तो आएगा ना? आदि जैसे विचारों से उनका दिमाग भरा हुआ रहता हैं। यही चीज शादी के बाद भी जारी रहती है।

कोई भी लड़की विवाह के बाद कुछ ऐसा जाने-अनजाने में नहीं करना चाहेगी, जो उसके पति या फिर ससुराल वालों को हर्ट कर दें। इस वजह से वह फूंक-फूंककर कदम रखती हैं और जब ऐसा होता हैं, तो जाहिर सी बात हैं कि उसके मन में असहजता बनी ही रहेगी। हालांकि, बाद में जब वह सबकी पसंद-नापसंद को समझ जाती हैं, तो वह सबके साथ आराम से घुलने-मिलने लगती हैं।

3. ससुराल वालों का सपोर्ट.....

लड़की कितनी जल्दी या फिर देरी से अपने ससुराल वालों के साथ सहज होती हैं, इसमें उसके पति की तरफ के घरवालों की बड़ी भूमिका होती हैं। अगर ऐसे इन-लॉज मिलें, जो बहू को प्रोत्साहित करते रहें, सपोर्ट करें और उसे नई चीजों में ढ़लने का पूरा समय देने के साथ गाइड करते रहें, तो लड़की जल्दी सहज हो जाती हैं। वहीं स्थिति अगर इसके उलट हो, तब तो शादी के कई साल बाद भी लड़की के मन से असहजता का भाव नहीं जा पाता हैं।

4. ननद का प्यार..... 

ननद-भाभी, सास-बहू, जेठानी-देवरानी जैसे भारतीय संस्कृति में ऐसे कई रिश्ते हैं, जो हर लड़की को निभाने होते हैं। ये ऐसे रिश्ते हैं जिन्हें लेकर माना जाता हैं कि हमेशा इनके बीच किसी न किसी बात पर खटपट होती रहती हैं। लेकिन, अगर करीब से इस रिश्ते को आंका जाए, तो ये रिश्ते सबसे खास रिश्ते हो सकते हैं।

कोई मानें या न मानें लेकिन, ननद-भाभी का रिश्ता दो बहनों और दो दोस्तों के रिश्तों से भी बढ़कर होता हैं। क्योंकि, ननद ऐसी होती हैं, जो किसी भी भाभी और भैया के बीच सबसे करीब हो सकती हैं। इस वजह से यह दोनों की बहन और ननद कम बेस्ट फ्रेंड ज्यादा हो सकती हैं। लेकिन, कैसे उस रिश्ते को खास बनाना हैं, यह ननद-भाभी के आपसी व्यवहार पर निर्भर करता हैं।

ससुराल में ननद ही एक ऐसी दोस्त होती हैं जिनके साथ आप समय गुजार सकती हैं। एक-दूसरे के साथ समय गुजारने से आप किसी के भी जीवन में बहुत करीब आ सकती हैं। इस दौरान, आप उनकी पसंद-नापसंद के साथ-साथ अपने ससुराल वालों के बारे में भी बहुत-सी बातें जान सकती हैं, जिनकी मदद से आप ससुराल के दूसरे सदस्यों के भी बहुत करीब आ सकती हैं। ननद भाभी के रिश्ते में मिठास लाने के लिए साथ समय बिताना जरूरी है। अगर आप एक-दूसरे को पसंद करते हैं तो साथ समय बिताने से आप दोनों के बीच संबंध और मधुर होगा।

 5. हर बात मायके में बताना.....

अक्सर लड़कियां ये भूल जाती हैं कि शादी के बाद ससुराल भी उनका घर ही बन चुका हैं। ऐसे में वहां से जुड़ी छोटी-छोटी चीजों को मायके में शेयर करना अच्छी बात नहीं हैं। ये न सिर्फ आपके सास-ससुर बल्कि पति के साथ रिश्ते पर भी असर डाल सकता हैं। आपको एक सीमा खींचनी होगी कि कितनी बात अपने मायके में बतानी है और कितनी नहीं।


अब मैं एक महत्वपूर्ण बात बताता हूँ कि ससुराल में नोकझोक के क्या कारण होते हैं.....

सास के ताने :- एक बहू सास के ताने सिर्फ इसलिए सुन लेती हैं क्योंकि माँ-पापा के घर जा नहीं सकती और माँ-पापा की इज्जत के लिए उन्हें कुछ सुना नहीं सकती यहीं एक अच्छी बहू के संस्कार होते हैं।

ससुर की डांट :- एक बहू ससुर की डांट इसलिए सह लेती हैं क्योंकि वह अपने पापा की परी और भाई की प्यारी होती हैं, मायके में भले ही लाख नखरे कर लें, कुछ भी कह लें लेकिन ससुराल में वह ससुर की डांट भी हंसते हंसते सहन कर लेती हैं।


अब इन सब को मेंटेन करके चलनें के लिए बहू और उसके ससुराल वालें एक हो जाएं, मेरा कहने का मतलब 


.यदि सास अपनी बहू को एक बार दिल से अपनाकर गलें लगायें और उसे बेटी बुलाकर देखें तो वह अपना मायका भूल जाएगी।

.यदि सास-ससुर अपनी बहू में बेटी को देखें तो बहू भी अपनी सास में एक माँ को और ससुर में एक पिता को देख पाएगी।

.यदि सास बहू में माँ बेटी वाला प्यार होगा तो रिश्ते की सभी तकरार खत्म हो जाएगी।

.यदि सास बहू के बीच प्यार का दिपक जलता रहेगा तो कभी कोई दोनों के बीच झगड़े की आग नहीं लगा पाएगा।

.यदि सास कहें कि बहू कभी खुद को अकेला मत समझना, कभी गिले शिकवे हो भी तो उसे आपस में बैठकर सुलझा लेंगे और यही बहू भी अपनी माँ समान सास से कहें तो चारों तरफ प्यार ही प्यार होगा।

बस मैं इतना ही कहना चाहूंगा। आपको लगता हैं इसमें कुछ ओर भी लिखना या हटाना चाहिए तो मुझे कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।

धन्यवाद 🙏💕

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