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महीने के वो चार दिन😑

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आप सभी ने मेरे पिछले 3 "BLOGS" तो पढ़े ही होंगे, हो सकता हैं किसी को पसन्द भी आयें हो और किसी को ना भी। लेकिन अब जो मैं लिखने जा रहा हूँ वो एक लड़की की जिंदगी का सबसे भारी वक्त होता हैं, जब उस समय उसको कोई समझ नहीं पाता तो चलिए Start करते हैं..... कुछ लोग इसे पढ़कर यह जरूर कहेंगे कि एक लड़का होकर मैं यह सब लिख रहा हूँ मुझे लिखते हुए शर्म नहीं आयी वगैरह बहुत कुछ। लेकिन जो सच हैं वहीं लिख रहा हूँ।। एक लड़की की जिंदगी कितनी कठिनाईयों से भरी होती हैं ये सिर्फ कुछ ही लोग समझ पाते हैं।  पीरियड्स खूब मस्ती करने वाली लड़की भी महीने के कुछ दिनों के लिए मुरझा जाती हैं, आहें भर तड़प तड़प कर भी अपना दर्द छुपाती हैं, पेट में दर्द हैं, कमर में दर्द हैं, मामूली सा सबको यहीं बतलाती हैं, हमसे तो ना कह पाती हैं लेकिन झूठी हॅंसी हॅंस जाती हैं, चार पाॅंच दिन के लिए एक प्यारी सी हॅंसी खो जाती थी, मस्ती मजाक करने वाली डरी सहमी सी हो जाती हैं, बार बार खुद को देख औरों की नजरों से बचाती हैं, कोई पूछ लें तो कहने में शर्माती हैं।। " पीरियड्स हैं इतना भी ना बोल पाती हैं  ।। " क्यो

एक लड़की की शादी और उसके बाद का सफर Part - 3

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आप सभी का एकबार फिर से स्वागत हैं, मैं आशा करता हूँ कि आप सभी ने मेरे पिछले दो "BLOGS"   तो पढ़ ही लिए होंगे, नहीं पढ़े हो तो पहले उनको पढ़ लें उसके बाद इसे पढ़ेंगे तो ज्यादा अच्छे से समझ आयेगा। 🙏😊 तो चलिए अब मैं लिखने वाला हूँ लड़की की शादी और उसके बाद का उनका सफर कैसा बीतता हैं..... जैसा कि आप सभी को पता ही होगा कि शादी से पहले महत्वपूर्ण होता हैं सगाई..... रिश्ता तय होने के बाद से शादी होने तक कई सारी रस्में होती हैं। उसमें सबसे पहली रस्म, जिसमें लड़का और लड़की एक साथ पहली बार साथ आते हैं, वह होती हैं सगाई। कहते हैं सगाई से लेकर शादी तक का सफर बहुत ही प्यारा, यादगार और सुनहरा होता हैं, इस समय बहुत सारी यादों का खजाना बनता हैं इसलिए सगाई से शादी के बीच के दौर को गोल्डन टाइम माना जाता हैं। यह वही समय होता हैं जब लड़का और लड़की को एक दूसरे को समझने का मौका मिलता हैं। यह समय दोनों के लिए रोमांच भरा होता हैं, लड़का-लड़की एक दूसरे के करीब आते हैं, एक दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं और इस दौरान हर बात वो एक दूसरे से साझा करते हैं, चाहें वो कोई छोटी बात ही क्यों न

एक लड़की का जीवनसाथी चुनने से लेकर शादी तक का सफर Part - 2

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मैं प्रियांशु खण्डेलवाल, भवानीमण्ड़ी (राज.) से एक बार फिर से आप सभी के सामने हाजिर हूँ । मैनें अपने पिछले Blog में लिखा था कि कैसे एक बच्ची अपनी समस्याओं को पार करके जीवनसाथी चुनने तक का सफर तय करती हैं। अब इस लेख में मैं उनके जीवनसाथी चुनने से लेकर शादी तक का सफर कैसे बीतता हैं वह बताना चाहूंगा..... एक लड़की के मन में शादी को लेकर उठते कुछ सवाल..... एक लड़की जब अपना जीवनसाथी चुनती हैं तब उनके मन में शादी को लेकर बहुत सारे सवाल उठते हैं जैसे कि  :- १.   शादी के लिए लड़का चुनते वक़्त लड़की उसमें सबसे पहले यह देखती हैं कि लड़के का चरित्र कैसा हैं, वह चाहती हैं कि चरित्र अच्छा हो व्यसनी ना हो, गुणी हैं या नहीं। इसके साथ साथ उसमें आंतरिक सुंदरता, उसका व्यवहार आदि। २.  जो लड़कियां लव मैरिज और इंटरकास्ट मैरिज करती हैं, उनके लिए शादी और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाती हैं। ऐसे में उनके मन में ये विचार आने लगते हैं कि क्या वो दूसरे परिवार में एडस्ट कर सकेंगी या नहीं, क्या वो वहां के कल्चर को अपना सकेंगी या नहीं, क्या उनके ससुराल वाले उनके तौर-तरीकों को मैनेज कर सकेंगे या नहीं। लड़कीय

एक लड़की का बचपन से लेकर जीवनसाथी चुनने तक का सफर Part - 1

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मैं प्रियांशु खण्डेलवाल, भवानीमण्ड़ी (राज.) से हूँ ओर आज मेरे मन में जो भी लड़कियों और महिलाओं को लेकर विचार हैं वो आप सभी के सामने व्यक्त करने वाला हूँ ..... हमें हर दिन देखने को मिलता हैं कि हमारे देश में, हमारे समाज में लड़कियों और महिलाओं को रोजाना कितना कुछ कहा जाता हैं, सुनाया जाता हैं लेकिन फिर भी वह चुप रहती हैं। लड़की और महिला होना इतना आसान नहीं होता साहब एक बार उसकी तकलीफों को देखों तब पता चलेगा कि लड़कियां और महिलाएं कितना कुछ सहती हैं, तो आइयें चलते हैं और देखते हैं।। एक महिला का बच्ची से स्त्री बनने तक का सफर....... मुझे यह सब कहना तो नहीं चाहिए लेकिन जब किसी घटिया सोच वाले परिवार में लड़की पैदा होती हैं तो कहा जाता हैं कि कहा आ गयी यह मनहूस, जब उस मासूम-सी बच्ची को मनहूस कहा जाता हैं तब उसकी माँ पर क्या बितती हैं यह कभी किसी ने सोचा हैं, जरा थोडा़ तो सोचिए कि आपकी माँ, बहन एवं पत्नी भी एक लड़की ही हैं तो फिर आप उस मासूम बच्ची को ऐसा क्यों बोलते हों चलिए अब यह तो हुई एक बच्ची की बात।। 1. अब जब वह थोड़ी बड़ी होती हैं   तो उससे उसका बचपन छिनना..... 

क्यों जा रहें हों ? क्या जरुरत हैं जाने की, कुछ समय की तो बात हैं ।

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मैं प्रियांशु खण्डेलवाल (भवानीमण्ड़ी) लेकर आया आया हूँ आप सभी के सामने लाॅकडाउन में मजदूरों पर आपबीती की एक छोटी सी घटना:- देश में लॉक डाउन को लगे 50 दिन से ज्यादा हो गए है और काम धंधे , फेक्ट्रिया सब के सब बंद है । एसी विकट परिस्थति में सब से ज्यादा परेशानी उन मजदूरों की हुई जो अपने घरो से दूर बड़े बड़े शहरों में किराये की खोली लेकर ठेकेदारों और सेठो के भरोसे पड़े हुए थे । एक 10 बाय 10 की छोटी सी  खोली में कम से कम 5 लोग या उससे भी ज्यादा रुकते थे , कोई बेलदार तो कोई प्लंबर तो कोई छोटी मोटी मजदूरी कर पैसा जमा करता और गाँव में बैठे अपने बीवी बच्चो और माँ बाप को भेजता था. घर खर्च , बच्चो की फीस , मकान किराये और माँ बाप की दवाई गोली के लिए , मतलब इन मजदूरों के पास बचत नाम की कोई चीज नहीं होती है थोडा कमाते , थोडा  खाते और थोडा घर भेज देते । हमारे भवानीमण्डी़ शहर का अन्नक्षेत्र सेवा संस्थान, नगरपालिका और व्यापार महासंघ के कुछ लोग कई दिनों से बायपास से गुजर रहें मजदूरों को जन सहयोग से भोजन और पानी की व्यवस्था कर रहे थे, और इस दोरान उन्होनें खुद कई मजदूरों से बात करी की क्यों जा रहे हो ? थोड़े

मध्यम वर्ग की मांग मोदी सरकार से...

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मैं प्रियांशु खण्डेलवाल (भवानीमण्ड़ी) लेकर आया हूँ एक बहुत ही अच्छा ब्लाॅग जो मेरे सर (श्री रविश जी वैद्य, इंदौर) द्वारा पोस्ट किया गया हैं, मुझे अच्छा लगा इसलिए सोचा कि मैं भी इसे पोस्ट करुँ..!!! दिनांक 12 मई 2020 को हमारे प्रधानमंत्रीजी ने कोरोना महामारी संकट से उबरने के लिए देश के नाम एक संदेश दिया था, इस संदेश में प्रधानमंत्री जी ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है जो कि हमारे देश की कूल जी.डी.पी. के 10 प्रतिशत के बराबर है । एक आम आदमी के नजरिये से देखेंगे तो यह जी.डी.पी. ये आर्थिक पैकेज ये प्रति व्यक्ति आय सब केवल हमने अर्थशाश्त्र विषय में पास होने के लिए ही पढ़े थे, ये न तो तब समझ आते थे और न ही अब आते है । इसलिए ये आंकड़े , ये फेक्ट्स एंड फिगर्स केवल उन बुद्धिजीवो को ही मुबारक जो इनका विश्लेषण करने के बाद भी जनता के लिए सही नीतियां नहीं बना पाते । में एक आम मिडिल क्लास आदमी हूँ और मेरी भी कोरोना महामारी के चलते अच्छी आर्थिक स्थति नहीं है । आगे क्या होगा यह भी नहीं मालुम, लेकिन में अकेला नहीं हूँ जिसके यह हाल है, सम्भवतः मेरा हर मिडिल क